हे नम्रता के सम्राट !
दीन भंगी की हीन
कुटिया के निवासी
गंगा यमुना गोदावरी
के जलों से सिंचित
इस सुन्दर देश में तुझे
सब जगह खोजने
में हमें मदद दें |
हमें ग्रहणशीलता और
खुला दिल दें;
तेरी अपनी नम्रता दे;
भारत की जनता से
एकरूप होने की
शक्ति और उतकण्ठा दे |
हे भगवन् !
तू तभी मदद के लिए
आता है,
जब मनुष्य शून्य बनकर
तेरी शरण लेता है |
हमें वरदान दें,
कि सेवक और मित्र के
नाते
जिस जनता की हम सेवा
करना चाहते हैं
उससे कभी अलग न पड़
जाएँ.
हमें त्याग, भक्ति
और नम्रता की मूर्ति
बना
ताकि इस देश को
हम ज़्यादा समझें और
ज़्यादा चाहें
हमें वरदान दें,
हे भगवन !चॉकलेटचे पार्सल: पहिले पान
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